विजय वर्मा ने बताया ‘गुस्ताख इश्क़’ में क्यों चुना रोमांस, छोड़ दी नफरत की परिभाषा
हाल ही में अभिनेता विजय वर्मा ने अपनी फिल्म ‘गुस्ताख इश्क़’ को लेकर अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि इस फिल्म में उन्होंने इंटेंस ड्रामा की बजाय रोमांस को चुना है। विजय वर्मा ने खुलेआम कहा कि वे नफरत की भावना को छोड़कर प्रेम को प्राथमिकता देना चाहते थे। यह उनकी अभिनय यात्रा में एक नया मोड़ है, जहां उन्होंने रोमांटिक भावनाओं को प्रमुखता दी है।
पृष्ठभूमि क्या है?
‘गुस्ताख इश्क़’ फिल्म ने दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बनाई है, जो रोमांटिक ड्रामा की श्रेणी में आती है। विजय वर्मा, जो अपने गंभीर और इंटेंस किरदारों के लिए जाने जाते हैं, ने इस फिल्म में एक अलग तरह की भूमिका निभाई है। उन्होंने पहले की फिल्मों में अक्सर जटिल और भारी भावनाओं को निभाया है, लेकिन इस बार उन्होंने एक हल्के-फुल्के, परंतु गहरे रोमांस को चुना। यह फैसला उनकी व्यक्तिगत सोच और अभिनय के लिहाज से एक बदलाव माना जा सकता है।
पहले भी ऐसा हुआ था?
बॉलीवुड में कई ऐसे कलाकार हैं जिन्होंने अपनी छवि को बदलने के लिए किसी नई तरह की भूमिका का चुनाव किया है। विजय वर्मा द्वारा रोमांस को चुनना इस सिलसिले का हिस्सा है। इससे पहले भी अभिनेता अजय देवगन, शाहिद कपूर जैसी हस्तियों ने अपने करियर में इस तरह का बदलाव किया है, जिससे उनकी बहुमुखी प्रतिभा सामने आई। ‘गुस्ताख इश्क़’ जैसी फिल्में इस दिशा में एक सकारात्मक कदम मानी जा सकती हैं।
फिल्म इंडस्ट्री पर असर
विजय वर्मा के इस अभिनय फैसले को फिल्म इंडस्ट्री ने सम्मानित किया है। आलोचक और फैन्स दोनों ने इस नए अंदाज की सराहना की है। विशेष रूप से युवा दर्शक वर्ग ने इस बदलाव को बेहतर तरीके से ग्रहण किया है क्योंकि वे नई कहानियों और परिवर्तित किरदारों के प्रति अधिक आकर्षित होते हैं। इससे बॉलीवुड में रोमांस और इमोशनल ड्रामा की नई संभावनाएं उत्पन्न होंगी।
आगे क्या हो सकता है?
विजय वर्मा द्वारा इस तरह के किरदार निभाने से उनकी आगामी परियोजनाओं पर भी असर पड़ेगा। वे ऐसे किरदारों को चुन सकते हैं जो हल्के-फुल्के रोमांस के साथ गहरे अर्थ भी देते हैं। इसके अलावा, ‘गुस्ताख इश्क़’ की सफलता के बाद और भी निर्माता और निर्देशक ऐसे विषयों पर फिल्में बनाना चाहेंगे, जो नफरत की बजाय प्रेम और समझ को दर्शाते हों। इससे हिंदी सिनेमा में बदलाव देखने को मिल सकता है।
संक्षेप में, विजय वर्मा का यह कदम न केवल उनके व्यक्तिगत करियर के लिए बल्कि पूरे बॉलीवुड के लिए एक प्रेरणा है। यह दिखाता है कि फिल्मों में सकारात्मक भावनाओं को प्रस्तुत करना कितना महत्वपूर्ण है और दर्शक भी इसे अपनाने को तैयार हैं।
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