कुनाल कोहली ने ‘सैय्यारा’ की रिलीज से पहले की तारीफ, बॉलीवुड के बदलते ट्रेंड पर उठाए सवाल
फिल्म निर्देशक और लेखक कुनाल कोहली ने हाल ही में अपनी आगामी फिल्म ‘सैय्यारा’ की रिलीज से पहले इस फिल्म की संगीत और कहानी की खूब तारीफ की है। साथ ही, उन्होंने बॉलीवुड के उन अभिनेताओं और फिल्मों की आलोचना की है जो अब संगीत और अभिनेत्री की भूमिका को कमतर समझते हैं। उन्होंने सोशल मीडिया और इंटरव्यूज में कहा कि संगीत और अभिनेत्री दोनों ही फिल्म इंडस्ट्री का अहम हिस्सा हैं, जिन्हें नजरअंदाज करना गलत है।
पृष्ठभूमि क्या है?
कुनाल कोहली बॉलीवुड के कई हिट फिल्मों के निर्देशक रहे हैं, जिनमें ‘फर्नीचर’, ‘फाजा’, और ‘तीसरी बात’ जैसी फिल्में शामिल हैं। उनकी फिल्मों में संगीत और महिला किरदारों को हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका मिली है। बॉलीवुड में पिछले कुछ वर्षों से यह देखा गया है कि संगीत की गुणवत्ता और महिलाओं के किरदारों को उतना महत्व नहीं दिया जा रहा है जितना दिया जाना चाहिए। कई प्रमुख फिल्मों में संगीत को महज फॉर्मैलिटी के रूप में देखा गया और महिला किरदारों को सपोर्टिंग या साइडलाइन रोल तक सीमित कर दिया गया।
पहले भी ऐसा हुआ था?
यह समस्या पहली बार सामने नहीं आई है। बॉलीवुड में संगीत और महिला भूमिकाओं के संकुचन का सिलसिला पिछले एक दशक से चल रहा है। कई निर्देशकों और संगीतकारों ने इस दिशा में चिंता जताई है। संगीतकारों की भूमिका सीमित होती जा रही है, और सुपरहीरो-थीम वाली फिल्मों में नायक की चमक और स्टंट ज्यादा प्राथमिकता ले रहे हैं। यह फिल्मों की गहराई और सामाजिक पहलुओं को कमतर करता है।
फिल्म इंडस्ट्री पर असर
कुनाल कोहली के इस बयान ने बॉलीवुड में एक चर्चित विषय को पुनः उठाया है। कई अनुभवी कलाकार और संगीतकार मानते हैं कि फिल्म का संगीत और महिला किरदार फिल्म की आत्मा होते हैं। यदि इन्हें नजरअंदाज किया गया, तो दर्शकों के साथ-साथ फिल्म की गुणवत्ता भी प्रभावित होगी। OTT प्लेटफॉर्म्स और नए निर्माता अधिक प्रयोग कर रहे हैं, जिससे संगीत और महिलाओं की भूमिका पुनः सशक्त होकर उभर सकती है।
जनता और इंडस्ट्री की प्रतिक्रिया
कुछ लोग कुनाल कोहली के इस साहसिक बयान की तारीफ कर रहे हैं, जबकि कुछ अभिभाववादी समीक्षक मानते हैं कि फिल्म इंडस्ट्री धीरे-धीरे बदल रही है और महिलाओं के किरदारों में सुधार हुआ है। डिजिटल माध्यमों की मदद से संगीत का स्थान भी नए स्तर पर पहुंच चुका है। फिर भी, इनके विचार इंडस्ट्री में स्वस्थ बहस को जन्म देते हैं, जिससे हर स्तर पर सुधार की संभावना खुलती है।
आगे क्या हो सकता है?
यदि फिल्म निर्माताओं और कलाकारों ने संगीत और महिला किरदारों पर ध्यान दिया, तो आने वाले वर्षों में बॉलीवुड में एक नया ट्रेंड विकसित हो सकता है। इससे फिल्मों की गुणवत्ता बढ़ेगी और दर्शकों को नए अनुभव मिलेंगे। ‘सैय्यारा’ जैसी फिल्मों की सफलता इस बदलाव की पहली कड़ी हो सकती है। अब देखना होगा कि कौन-कौन से निर्देशक और निर्माता इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए नया ट्रेंड सेट करते हैं।
निष्कर्ष
कुनाल कोहली ने ‘सैय्यारा’ के माध्यम से बॉलीवुड में संगीत और महिला किरदारों के महत्व पर जोर दिया है। यह फिल्म इंडस्ट्री के लिए सोचने का मौका है कि वे अपने कंटेंट को कैसे बेहतर बना सकते हैं। संगीत और महिलाओं को मुख्य स्थान देने से बॉलीवुड फिल्मों की गहराई और स्थिरता बढ़ेगी, जो दर्शकों को भी पसंद आएगी।
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