अनुपम खेर का सर्दार जी 3 विवाद पर सधा जवाब: कब होगी बहस, कब होनी चाहिए सीमाएं?

अनुपम खेर ने सर्दार जी 3 विवाद पर अपना सधा और विचारशील जवाब दिया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बहस और आलोचना कला एवं अभिव्यक्ति की आज़ादी का हिस्सा हैं, लेकिन इसके साथ ही सीमाओं का सम्मान भी आवश्यक है।

उनका मानना है कि जब कोई फिल्म या कला का कार्य तैयार होता है, तो उसे पूरा देखना चाहिए और फिर विचार व्यक्त करना चाहिए। केवल ट्रेलर या अंश देखकर तत्क्षण निष्कर्ष पर पहुँचने से गलतफहमियाँ बढ़ सकती हैं। अनुपम खेर ने कहा कि बहस तभी होनी चाहिए जब तथ्य पूरे हों और बहस का मकसद केवल आलोचना नहीं, बल्कि संवाद और सुधार भी हो।

उन्होंने यह भी कहा कि सीमाएं तभी होनी चाहिए जब वे अपराध या द्वेषपूर्ण अभिव्यक्ति को रोकने के लिए हों, ताकि समाज में सम्मान और सद्भाव बना रहे। वहीं, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कोई बाधा न हो, क्योंकि यह लोकतंत्र की मूल भावना है।

अनुपम खेर के विचारों का सारांश:

  • फिल्म या कला को पूरी तरह देखने के बाद ही राय बनानी चाहिए।
  • दो ओर से बात सुनना और समझना जरूरी है।
  • बहस का उद्देश्य केवल विवाद या विवाद खड़ा करना नहीं, बल्कि समाधान और समझ बढ़ाना होना चाहिए।
  • सहिष्णुता और सम्मान के साथ अपनी बात रखना चाहिए।

इस प्रकार, अनुपम खेर ने कई बार गम्भीर हुए सर्दार जी 3 विवाद पर एक सकारात्मक और संतुलित मंच प्रस्तुत किया है, जो कलाकारों, दर्शकों और आलोचकों के बीच बेहतर संवाद को प्रोत्साहित करता है।

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